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Showing posts from November, 2017

भारत का सविधान

भारत को आजादी  मिली 15 अगस्त 1947 को तो हमने हमारा संविधान बनाना शुरु कर दिया और भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ 26 जनवरी 1950 को इसके लिए एक संविधान सभा का निर्माण किया गया उस संविधान सभा में 296 सदस्य थे जिन्होंने 11 महीने और 18 दिन काम करके संविधान तैयार किया लेकिन 11 महीने और 18 दिन में काम कुल 166 घंटे हुआ और उसमें संविधान तैयार हो गया भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है इतना बड़ा लिखित संविधान दुनिया के किसी देश के पास नहीं है जो भारत के पास है 395 तो अनुच्छेद हैं जिसको हम आर्टिकल्स कहते हैं और इतना मोटा सा पूरा पुस्तक है शास्त्र जैसा आप कभी भी खरीद कर देख सकते हो दुनिया के किसी देश में इतना बड़ा संविधान नहीं हमने बनाया तो बहुत बार मेरे मन में आता था कि मात्र 11 महीने 18 दिन के समय में इतना मोटा संविधान कैसे बना लिया हमने इसको बनाने में तो ज्यादा समय लगना चाहिए जब खोजना शुरू किया तो पता चला कि इस संविधान में हमने कुछ खास नहीं बनाया अंग्रेजों ने एक कानून बनाकर हमारे देश में छोड़ा हुआ था उसीको हम ने भारत का संविधान बना लिया अंग्रेजों का एक कानून था इस देश में 1935 म...

चूहे मारने का देसी उपाय

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हम सभी के घरों में चूहों का होना लाजमी है अगर घर में चूहें हैं तो नुकसान का होना भी लाजमी है चूहे आपके घर के हर एक सामान को कुतर कर कबाड़ा बनाते देते हैं चूहे किसी भी चीज़ को कतरने से नही छोड़ते हैं चाहे वो सोफे हो या कपडे हो, चूहे किसी भी चीज़ को नही बक्शते हैं अगर रसोई में खाने की चीज़ को कुतर जाएँ उसे अनजाने में खा लें तो ये हमारे शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। आइए हम आपको बताते है चूहों को घर से बाहर भगाने के अचूक उपाय। चूहों को बिना मारे घर से भगाने का उपाय : पुदीना : पुदीना यदि चूहे ने पूरे घर में आतंक सा फैला दिया है तो आप इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए पुदीने की पत्ती या फूल को लेकर कूट लें और इसे चूहे के बिल के पास या आने वाली जगहों के पास रख दें। इसकी गंध को पाकर चूहे तुरंत ही भाग जायेगें। तेज़ पत्ता : वैसे तो तेज पत्ते को चावल यां सब्जी में डाला जाता है लेकिन चूहे भगाने के लिए भी यह कारगर साबित होता है। लाल मिर्च : लाल मिर्च खाने में प्रयोग होने वाली लाल मिर्च चूहों को भगाने के लिए काफी कारगर है। जहां से चूहें ज्यादा आते है वहां पर लालमिर्च का पाउडर डाल दें इतना ...

गूगल की नौकरी छोड़ी, आज कमा रहा है करोड़ों सालाना

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गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्‍पल आदि कुछ ऐसी बड़ी कंपनियां हैं जिनमें काम करने का हर इंजीनियर का सपना रहता है। मौका मिल जाए तो शायद कोई इन्‍हें छोड़ने का सपने में भी नहीं सोच सकता है। पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे भारतीय इंजीनियर की कहानी जिसने गूगल में नौकरी पाई और फिर अपनी मर्जी से इसे छोड़ भी दिया।  ऐसा नहीं कि उसे कहीं और से ऑफर मिला बल्कि इस नौकरी को उसने खेती करने के लिए छोड़ा। आज उसकी गिनती अमेरिका के बड़े किसानों में होती है। जी हां, यह सच है व अपनी खेती से हर साल लगभग 17 से 18 करोड़ रुपए की इनकम भी करता है। किया था गूगल अलर्ट को डवलप यह कहानी है आंध्र प्रदेश के कृष्‍णा जिले के गांव गंपालागुडम निवासी नगा कटारू की। नगा कटारू के पिता गांव के ही स्‍कूल में प्रिंसिपल थे। कटारू की गिनती मेधावी छात्रों में होती थी। यही कारण था कि उन्‍होंने 1995 में आईआईटी में दाखिला भी पा लिया। इसके बाद साल 2000 में उन्‍होंने गुगल में नौकरी पा ली। उस वक्‍त गुगल का केवल 110 लोगों का स्‍टाफ हुआ करता था। कटारू के ब्‍लॉग के अनुसार उन्‍होंने 2002 में गुगल अलर्ट को डवलेप किया, जिसे उनके अधिकारियों ...

नेताजी एक महान राष्ट्रवादी

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अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों को ऑफर किया था कि यह जो सत्ता चल रही है इसमें हमारे साथ शामिल हो जाओ, तुम भी लूटो, हम भी लूटें. सारे क्रांतिकारियों ने साफ मना किया था कि तुम्हारी इस लुट की व्यवस्था में हमें शामिल नहीं होना, हमें तो संपूर्ण आजादी चाहिए. संपूर्ण स्वराज्य चाहिए और जिस क्रांतिकारी ने यह बात सबसे पहले कही थी उन्हीं का नाम था नेताजी सुभाष चंद्र बोस. क्या आपको मालूम है उनके जीवन की विडंबना क्या थी उनको आईसीएस (ICS) की नौकरी में सेलेक्ट होना पड़ा. उनके पिताजी की इच्छा की पूर्ति के लिए, क्योकि पिता जी चाहते थे कि मेरा बेटा कलेक्टर बने और बेटे को बार-बार वह ताना मारते थे कि तू बन नहीं सकता. तू होशियार कम है, तेरे पास तैयारी नहीं है, इसलिए बहाना बनाता रहता है. तो बेटे ने अपनी पात्रता सिद्ध करने के लिए परीक्षा दी और उस जमाने में आई सी एस की परीक्षा देने के लिए चार-चार साल लोग पढ़ाई करते हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिर्फ 7 महीने पढ़ाई की थी और उतनी पढ़ाई में उन्होंने आई सी एस के टॉपर की लिस्ट में चौथी पोजीशन पाई थी. उस जमाने में आईसीएस टॉप करना किसी भारतीय लड़के के लिए संभव ही नहीं ...

भारतीयों के लिए गौरवान्वित करने की अनूठी कहानी

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“1710  में  डॉक्टर ऑलिवर  भारत में आया और पूरे बंगाल में घूमा. उसके बाद वो अपनी डायरी में लिखता है,”मैंने भारत में आकार ये पहली बार देखा कि चेचक जैसी महामारी को कितनी आसानी से भारतवासी ठीक कर लेते हैं.” चेचक उस समय यूरोप के लोगों के लिए महामारी ही थी. इस बीमारी से लाखों यूरोपवासी मर गए थे. उस समय में वो लिखता है कि यहाँ लोग  चेचक के टीके  लगवाते हैं. वो लिखता है कि,”टीका एक सुई जैसी चीज़ से लगाया जाता था. इसके बाद तीन दिन तक उस व्यक्ति को थोड़ा बुखार आता था. बुखार ठीक करने के लिए पानी की पट्टियां रखी जाती थीं. तीन दिन में वो व्यक्ति ठीक हो जाता था. एक बार जिसने टीका ले लिया वो ज़िंदगी भर चेचक से मुक्त रहता था. फिर ये डॉक्टर वापस लन्दन गया. डॉक्टरों की सभा बुलाई. सभा में भारत में चेचक के टीके की बात बताई. जब लोगों को यकीन नही हुआ तो वो उन सभी डॉक्टरों को अपने खर्च पर भारत लाया. यहाँ उन लोगों ने भी टीके को देखा. फिर उन लोगों ने भारतीय वैद्यों से पूंछा कि इस टीके में क्या है? तो उन वैद्यों ने बताया कि जो लोग चेचक के रोगी होते हैं हम उनके शरीर का पस निकाल ...

हरियाणा की मशहूर कहावतें PART 2

ग, घ गंजे रे गंजे टेरम टेर, लाठी ले के डांगर हेर गू खाओ तो हाथी का जो पेट भी भरे बकरी की मिंगन का क्ये खाया जो जाड भी न भरे गधे की आँख में घाल्या घी - वो बोल्या मेरी तै फोड़-ए दी ! गधे की लात अर्र बीर की जात का कोए भरोसा नही होता गधी मरी पड़ी, सुणपत के भाड़े करै गरीब की बहु गाम की भाभी गोदी में छोरा और गांव में ढ़िंढ़ोरा गोबर में डळा मारै, अर खुद छींटम-छींट गाम बस्या ना, मंगते फिर गये गादड़ बिना झाड़ी में कौन हागै ? गादड़–गादड़ी का ब्याह, सूसा भात न्यौतण जा । चिड़िया गीत गाती जा, लौबाँ लाकड़ी चुग ल्या ।।(this one is children's favourite) गादड़ की तावळ तैं बेर ना पाक्या करैं गादड़ी के कान ना तो छुड़ाये जां, ना पकड़े जां ! (The situation when you can neither walk on, nor walk out) बोळी गादड़ी के कान पकड़ना गादड्डी की मौत आवे जब गाम काने भाजा करे गावड़ी की लात खाली कोन्यां जाती गंडे तैं गंडीरी मीठी, गुड़ तैं मीठा राळा - भाई तैं भतीजा प्यारा, सब-तैं प्यारा साळा गंजी की मौत आवै जब वा कांकरां में कुल्लाबात्ती खाया करै गोह के जाए, सारे खुरदरे गुजर ...