गूगल की नौकरी छोड़ी, आज कमा रहा है करोड़ों सालाना
गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल आदि कुछ ऐसी बड़ी कंपनियां हैं जिनमें काम करने का हर इंजीनियर का सपना रहता है। मौका मिल जाए तो शायद कोई इन्हें छोड़ने का सपने में भी नहीं सोच सकता है। पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे भारतीय इंजीनियर की कहानी जिसने गूगल में नौकरी पाई और फिर अपनी मर्जी से इसे छोड़ भी दिया। ऐसा नहीं कि उसे कहीं और से ऑफर मिला बल्कि इस नौकरी को उसने खेती करने के लिए छोड़ा। आज उसकी गिनती अमेरिका के बड़े किसानों में होती है। जी हां, यह सच है व अपनी खेती से हर साल लगभग 17 से 18 करोड़ रुपए की इनकम भी करता है।
किया था गूगल अलर्ट को डवलप
यह कहानी है आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गांव गंपालागुडम निवासी नगा कटारू की। नगा कटारू के पिता गांव के ही स्कूल में प्रिंसिपल थे। कटारू की गिनती मेधावी छात्रों में होती थी। यही कारण था कि उन्होंने 1995 में आईआईटी में दाखिला भी पा लिया। इसके बाद साल 2000 में उन्होंने गुगल में नौकरी पा ली। उस वक्त गुगल का केवल 110 लोगों का स्टाफ हुआ करता था। कटारू के ब्लॉग के अनुसार उन्होंने 2002 में गुगल अलर्ट को डवलेप किया, जिसे उनके अधिकारियों ने इसे ठुकरा दिया। लेकिन, जब उन्होंने यह आयडिया गुगल के फाउंडर के पास रखा तो 2003 में इसे लॉन्च कर दिया गया। इसके लिए उनके नाम पर 3 पेटेंट भी हैं।
किया था गूगल अलर्ट को डवलप
यह कहानी है आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गांव गंपालागुडम निवासी नगा कटारू की। नगा कटारू के पिता गांव के ही स्कूल में प्रिंसिपल थे। कटारू की गिनती मेधावी छात्रों में होती थी। यही कारण था कि उन्होंने 1995 में आईआईटी में दाखिला भी पा लिया। इसके बाद साल 2000 में उन्होंने गुगल में नौकरी पा ली। उस वक्त गुगल का केवल 110 लोगों का स्टाफ हुआ करता था। कटारू के ब्लॉग के अनुसार उन्होंने 2002 में गुगल अलर्ट को डवलेप किया, जिसे उनके अधिकारियों ने इसे ठुकरा दिया। लेकिन, जब उन्होंने यह आयडिया गुगल के फाउंडर के पास रखा तो 2003 में इसे लॉन्च कर दिया गया। इसके लिए उनके नाम पर 3 पेटेंट भी हैं।
उगाते हैं बदाम और खुबानी
कटारू ने साल 2004 में नौकरी छोड़ दी और थिएटर व डॉक्यूमेंटरी फिल्मों में काम करने लगे। लेकिन, यहां उनका मन बार-बार अपने गांव की तरफ मुड़ जाता था। कटारू के ऑफिसियल ब्लॉग व एक न्यूज मैगजीन में प्रकाशित आर्टिकल के अनुसार उन्होंने खेती करने का फैसला कर लिया। इसके बाद उन्होंने कैलीफोर्निया में उन्होंने 320 एकड़ का फार्म किराए पर ले लिया। इसमें बदाम और खुबानी की खेती करने लगे। कुछ सालों बाद यह फार्म उन्होंने खरीद लिया।
कटारू ने साल 2004 में नौकरी छोड़ दी और थिएटर व डॉक्यूमेंटरी फिल्मों में काम करने लगे। लेकिन, यहां उनका मन बार-बार अपने गांव की तरफ मुड़ जाता था। कटारू के ऑफिसियल ब्लॉग व एक न्यूज मैगजीन में प्रकाशित आर्टिकल के अनुसार उन्होंने खेती करने का फैसला कर लिया। इसके बाद उन्होंने कैलीफोर्निया में उन्होंने 320 एकड़ का फार्म किराए पर ले लिया। इसमें बदाम और खुबानी की खेती करने लगे। कुछ सालों बाद यह फार्म उन्होंने खरीद लिया।
17 से 18 करोड़ रुपए होती है कमाई
कटारू ने इस फार्म को पहले से ज्यादा एडवांस बना दिया था। तकनीकी एक्सपर्ट होने के कारण उन्होंने नई-नई तकनीकों को अपनाया और इस फार्म का उत्पादन पहले से कहीं ज्यादा कर लिया। साल 2015 और 2016 में उन्हें इस फार्म से क्रमश- 17 व 18 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। कटारू अपने ब्लॉग पर लिखते हैं कि उनका मन है कि वो भारत आकर भी इस तरह से एडवांस खेती करें।
कटारू ने इस फार्म को पहले से ज्यादा एडवांस बना दिया था। तकनीकी एक्सपर्ट होने के कारण उन्होंने नई-नई तकनीकों को अपनाया और इस फार्म का उत्पादन पहले से कहीं ज्यादा कर लिया। साल 2015 और 2016 में उन्हें इस फार्म से क्रमश- 17 व 18 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। कटारू अपने ब्लॉग पर लिखते हैं कि उनका मन है कि वो भारत आकर भी इस तरह से एडवांस खेती करें।
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