हरियाणा की मशहूर कहावतें Part-1
अ, आ
- अकल बिना ऊंट उभाणे फिरैं
- अकल मारी जाट की, राॅघङ राख़या हाली, वो उस नै काम कह, वो उस नै दे गाली
- अपनी रहिय्याँ नै न रोती, जेठ की जायियाँ नै रोवे
- अंधा न्यौतै और दो बुलावै अर तीसरा गैला आवे
- अरै, क्यूकर ब्याह में नाई की तरियां हो रहया सै ?
- अगेती फसल और अगेती मार करणियां की होवै ना कदे बी हार
- आई तीज, बिखेर गई बीज - आई होली, भर ले गई झोली
- आगै-पाछै नीम तळै ("one and the same thing")
- आड़ की पड़छाड़ की, मेरे नाना की ससुराड़
- आया मंगसिर, जाड्डा चाल्या रंग-सिर - आया पौह, जाड्डे हा हुआ छोह - आया माह, जाड्डा चाल्या राह-ए-राह - आया फागण, जाड्डा चाल्या हागण !
- आब-आब कहते मरे सिरहाणै धरया रहया पाणी (आब मतलब पानी) means use language that all understand
- औंधै जाट नै लागी अंघाई, भैंस बेच कै धोडी बसाई
- आँकल-झोट्यां का खाया कदे बेकार ना जाया करै
- आन्धी पिस्से कुत्ते खा
- आंध्यां की माखी राम उडावै
- आंध्यां बांटै सीरणी अप अपणा नै दे - औरां की के फूट-गी, आगा बढ़-कै ले
- आंधा गुरू आंधा चेला - कूंऐं में दोनूं ढ़ेल्लम-ढ़ेल्लां
- आपना मारे छाया में गेरे
इ, ई
- इबै किमै ना बिगङया, इबै तै बेटी बाप कै सै (Situation tensed but under control)
- इतनै काणी का सिंगार होगा.... मेळा बिछड़ ज्यागा
- इतनी चीकणी हांडी होती तै कुत्ते ए ना चाट लेते !
- इसा भाज्या हांडै सै जणूं गहण में चूड़े हांड्या करैं
- इसे बावळे तै भैंसवाळ में पावैंगे जो नहा कै सान्नी काटैं
- इसे पिलूरे ना पाळियो जो जाड्डे में रजाई मांगैं
उ, ऊ
ऊत न ऊत ग°गा जी के घाट पै टकरा ए जाया करै
ए, ऐ
- एक घर तै डायण भी छोड दिया करै
- एक भैंस सोवां कै गार लावै (एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा करती है)
ओ, औ
- ओछा बाणियां, गोद का छोहरा, ओछे की प्रीत, बाळू की भीत - कदे सुख नहीं दें (A cunning money lender, adopted son, cruel love and a sand-wall will never give happiness)
क, ख
- काठ की हांडी रोज न चढ़ती
- कमीना का बालक त्यौहार के दिन रूस्या करै
- कद (कब) मरी मेरी सासू -- कद आये मेरै आँसू
- करजा (debt) भला ना बाप का, बेटी भली ना एक
- करमा के लेख उघाङ-उघाङ देख
- कर जावै घूंघट आळी, नाम झुरमट आळी का (someone does the mischief, blame goes to someone else)
- कदे कदे तै गधे की बी ग्यास आया करै
- काका के हाथ में कस्सी हळवी (हल्की) लाग्या करै
- काका के हाथ में कुलहाङी पैनी लाग्या करै
- काका कहे त कोए काकडी ना दे
- काग पढ़ाया पींजरै, पढ-ग्या चारूं वेद, समझायां समझया नहीं रहया ढेढ का ढेढ (You cannot educate a crow like a parrot even if you teach him in a cage, he will not understand anything just like a foolish man will remain foolish and wont change.)
- काणी के ब्याह में सौ जोखिम
- काणे, टूंडे और लंगड़े में एक ऐब फालतू-ए पाया करै
- काणे की आंख में घाला घी अर नू कह मेरी फोड दी
- काने की अर तेरी बणे नही, काणे बिना तुझे सरे नही
- काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का
- काम चुड़ैलां का, मिजाज परियां के ..
- काळे-काळे - सारे मेरे बाप के साळे
- काळे सिर आळे का कदे ना भरै (Human beings are never satisfied with their wealth)
- काया रहै निरोग जो कम खावै- उसका बिगड़ै ना काम जो गम खावै (He who eats less remains healthy. He never fails who does not get depressed)
- किमें मेरी का मन था, किमें आ-गे लणिहार
- कुत्ते कै घी हजम ना होया करै
- कुत्ते भोंके जा अर गाङी चाले जा
- कुम्हार की कुम्हारी पै तै पार बसावै ना, गधी के कान ऐंठण भाजै
- कुणबा खीर खा और देवते राजी हों (कनागत)
- के बाबा रेल में - के जेल में (Either this way, or that way)
- के जाणै भेङ बिंदौला की साह नै
- काटड़े की मां तलै 9 मण दूध, पर काटड़े का के ?
- काणे दादा पॉ लॉगू , वोहे लडाई के लच्छन
- खड़ा डरावा खेत में - ना खा, ना खाण दे
- खा तै खा घी तैं, ना तै जा जी तैं
- खाद पड़ै तै खेत, नांह तै कूड़ा रेत (Related to agriculture)
- खच्चरी मरी पड़ी सै, भाड़ा सोनीपत का ।
- खेती खसम हेती
- खांड का पानी होना अर्थ करे कराये पे पानी फिरना
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