अ, आ अकल बिना ऊंट उभाणे फिरैं अकल मारी जाट की, राॅघङ राख़या हाली, वो उस नै काम कह, वो उस नै दे गाली अपनी रहिय्याँ नै न रोती, जेठ की जायियाँ नै रोवे अंधा न्यौतै और दो बुलावै अर तीसरा गैला आवे अरै, क्यूकर ब्याह में नाई की तरियां हो रहया सै ? अगेती फसल और अगेती मार करणियां की होवै ना कदे बी हार आई तीज, बिखेर गई बीज - आई होली, भर ले गई झोली आगै-पाछै नीम तळै ("one and the same thing") आड़ की पड़छाड़ की, मेरे नाना की ससुराड़ आया मंगसिर, जाड्डा चाल्या रंग-सिर - आया पौह, जाड्डे हा हुआ छोह - आया माह, जाड्डा चाल्या राह-ए-राह - आया फागण, जाड्डा चाल्या हागण ! आब-आब कहते मरे सिरहाणै धरया रहया पाणी (आब मतलब पानी) means use language that all understand औंधै जाट नै लागी अंघाई, भैंस बेच कै धोडी बसाई आँकल-झोट्यां का खाया कदे बेकार ना जाया करै आन्धी पिस्से कुत्ते खा आंध्यां की माखी राम उडावै आंध्यां बांटै सीरणी अप अपणा नै दे - औरां की के फूट-गी, आगा बढ़-कै ले आंधा गुरू आंधा चेला - कूंऐं में दोनूं ढ़ेल्लम-ढ़ेल्लां आपना मारे छाया में गेरे इ, ई इबै किमै ना बिगङया,...
ग, घ गंजे रे गंजे टेरम टेर, लाठी ले के डांगर हेर गू खाओ तो हाथी का जो पेट भी भरे बकरी की मिंगन का क्ये खाया जो जाड भी न भरे गधे की आँख में घाल्या घी - वो बोल्या मेरी तै फोड़-ए दी ! गधे की लात अर्र बीर की जात का कोए भरोसा नही होता गधी मरी पड़ी, सुणपत के भाड़े करै गरीब की बहु गाम की भाभी गोदी में छोरा और गांव में ढ़िंढ़ोरा गोबर में डळा मारै, अर खुद छींटम-छींट गाम बस्या ना, मंगते फिर गये गादड़ बिना झाड़ी में कौन हागै ? गादड़–गादड़ी का ब्याह, सूसा भात न्यौतण जा । चिड़िया गीत गाती जा, लौबाँ लाकड़ी चुग ल्या ।।(this one is children's favourite) गादड़ की तावळ तैं बेर ना पाक्या करैं गादड़ी के कान ना तो छुड़ाये जां, ना पकड़े जां ! (The situation when you can neither walk on, nor walk out) बोळी गादड़ी के कान पकड़ना गादड्डी की मौत आवे जब गाम काने भाजा करे गावड़ी की लात खाली कोन्यां जाती गंडे तैं गंडीरी मीठी, गुड़ तैं मीठा राळा - भाई तैं भतीजा प्यारा, सब-तैं प्यारा साळा गंजी की मौत आवै जब वा कांकरां में कुल्लाबात्ती खाया करै गोह के जाए, सारे खुरदरे गुजर ...
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