हरियाणा की मशहूर कहावतें Part-1
अ, आ अकल बिना ऊंट उभाणे फिरैं अकल मारी जाट की, राॅघङ राख़या हाली, वो उस नै काम कह, वो उस नै दे गाली अपनी रहिय्याँ नै न रोती, जेठ की जायियाँ नै रोवे अंधा न्यौतै और दो बुलावै अर तीसरा गैला आवे अरै, क्यूकर ब्याह में नाई की तरियां हो रहया सै ? अगेती फसल और अगेती मार करणियां की होवै ना कदे बी हार आई तीज, बिखेर गई बीज - आई होली, भर ले गई झोली आगै-पाछै नीम तळै ("one and the same thing") आड़ की पड़छाड़ की, मेरे नाना की ससुराड़ आया मंगसिर, जाड्डा चाल्या रंग-सिर - आया पौह, जाड्डे हा हुआ छोह - आया माह, जाड्डा चाल्या राह-ए-राह - आया फागण, जाड्डा चाल्या हागण ! आब-आब कहते मरे सिरहाणै धरया रहया पाणी (आब मतलब पानी) means use language that all understand औंधै जाट नै लागी अंघाई, भैंस बेच कै धोडी बसाई आँकल-झोट्यां का खाया कदे बेकार ना जाया करै आन्धी पिस्से कुत्ते खा आंध्यां की माखी राम उडावै आंध्यां बांटै सीरणी अप अपणा नै दे - औरां की के फूट-गी, आगा बढ़-कै ले आंधा गुरू आंधा चेला - कूंऐं में दोनूं ढ़ेल्लम-ढ़ेल्लां आपना मारे छाया में गेरे इ, ई इबै किमै ना बिगङया,...
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