जवाहरलाल नेहरू के उच्चें शौकौं का उदाहरण








जवाहरलाल नेहरू ने मप्र को कई सौगातें दी हैं। मप्र के राजनेता शंकरदयाल शर्मा और उनके बीच खासी नजदीकी थी। इस वजह से अकसर नेहरू मप्र आया करते थे। जवाहरलाल नेहरू अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भोपाल शहर मे 18 बार आए।
एक बार जवाहरलाल नेहरू भोपाल के दौरे पर थे। राजभवन में यह पता चला कि नेहरू की फेवरेट ब्रांड 555 सिगरेट भोपाल में नहीं मिल रही है। नेहरू खाने के बाद सिगरेट पीते थे। यह पता चलते ही भोपाल से इंदौर एक विशेष विमान भेजा गया। इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट पहुंचाए गए और विमान सिगरेट के पैकेट लेकर वापस भोपाल लौट आया। इस घटना का जिक्र मप्र राजभवन की वेबसाइट पर है।
जवाहरलाल नेहरू जब भी भोपाल आते थे तो भोपाल नवाब के महल या उनकी चिकलोद स्थित कोठी पर रुकते थे। यह देखकर मप्र के दूसरे राज्यपाल हरि विनायक पाटस्कर काफी नाराज हुए। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से साफ कह दिया कि आप अधिकारिक यात्रा पर भोपाल आ रहे हैं, इसलिए आपके ठहरने के लिए राजभवन से उपयुक्त कोई और जगह नहीं है।भोपाल के करीब यिकलोद कोठी नवाबी दौर क्री शान मानी जाती थी । यह कोठी तीन तरफ से पहाडों से घिरी होने ओंर तालाब के किनारे होने के कारण खासी आकर्षण का केंद्र थीं। भोपाल से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित १चेयप्रनोद कोठी देश के प्रधानमंत्री को भी पसंद थी । वे यहीं रुकना पसंद करते थे। यहीं चारों ताप हरियाली और पहाड़ थे । खूबसूरती के साथ ही यह जाए सर्वसुविधायुक्त थी
नेहरू से जुही यह बात भी काफी प्रचलित है वि’ उनके कपडे धुलने के लिए लन्दन भेजे जाते थे। खानदान की जन्मभ्रूमि कश्मीर थी और नेहरू के दादा पंडित गंगाधर नेहरू दिली के कोतवाल हुआ करते थे। इसलिए उनका रौब भी उनकी जिदगी पर पडा। पिता पंडित मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद उब न्यायलय के सबसे प्रसिद्ध और सबसे रईस वकील थे। जो बेहद अनुशासनप्रिय, शानो-शोक और अंग्रेजी चाल-दाल और अपने पहनावे के लिए जाने जाते थे।

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